[ 1 ]
मुझे इंतज़ार है उस दिन का
जब मैं किसी गाँव या शहर मे पढ़ूँ
कोई पित्रसत्ता पर कविता
जिसमे लड़कियों के
शोषण का ब्यौरा हो ।
और कविता सुन रही सारी लड़कियां
एक दूसरे के तरफ देखें और बोले
“क्या बकवास कर रहा है ये ?”
ऐसा तो कुछ होता ही नही
हमारे साथ ।
और कविता खत्म होते ही गूगल करें
की ये पित्रसत्ता क्या होता है !?
जैसे अधिकतर लड़के करते हैं
की फेमिनिज्म क्या होता है !?
या यूँ कह ले –
मैं चाहता हूं आने वाली लडकियों को
पित्रसत्ता का मतलब
विकीपीडिया के माध्यम से पता चले
ना कि झेल कर या महसूस कर

[ 2 ] फेमिनिज्म को गाली देने वाले लड़कों अगर पूरी तरह से स्वस्थ हो पर घर से बाहर नहीं निकल पा रहे बहुत घुटन होने के बावजूद भी कोई उपाय नहीं सूझ रहा और तुम इसे दुर्भाग्य समझकर सत्य स्वीकार्य कर मूक दर्शक बनने को विवश हो तो मुबारक हो ! तुम पितृसत्ता समझ चुके हो और अब नैतिक रूप से तुम्हें भी सपोर्ट करनी चाहिए आज़ादी के नारे लगाती हुई लड़कियों को ।
wah dhananjay